बुझ गये सब रिश्ते नाते
बुझ गयी चिंगारियां
जाने किस मिटटी की हैं ये
बुझती नहीं ये यारियां
रास्ते मुश्किल भी आये
आई कितनी आंधियां
जाने किस मिटटी की हैं ये
बुझती नहीं ये यारियां
दौर रोज़ मिलने के आये
आई भी दुश्वारियां
जाने किस मिटटी की हैं ये
बुझती नहीं ये यारियां
ज़िन्दगी के बाद भी
याद आएँगी दिलदारियाँ
जाने किस मिटटी की हैं ये
बुझती नहीं ये यारियां