उलझे हुए लफ़्ज़ों में
कहता हूँ कई बातें
कुछ तैरती रहती हैं
कुछ दिल में उतर जाती हैं
कुछ एहसास के सायों से
फलक तक चली जाती हैं
कुछ रेत में उड़ती हैं
कुछ अश्कों से तर जाती हैं
कुछ रेंगती जाती हैं
यादों के उफक तक
कुछ खुद से ही डर के
भीतर ही सिमट जाती हैं
कुछ बातें है ऐसी भी
जिन की कोई बात नहीं है
आती हैं ना जाने किधर से
और ना जाने कहाँ जाती हैं
उलझे हुए लफ़्ज़ों में
कहता हूँ कई बातें
कुछ तैरती रहती हैं
कुछ दिल में उतर जाती हैं